अपने बलबूते पर नारी शक्ति ने सियासत में हासिल किया मुकाम
हरियाणा की राजनीति दिलचस्प तथ्यों एवं रोचक किस्सों से अटी हुई है। विशेष बात यह है कि प्रदेश के अब तक के सियासी सफर पर नजर डालें तो अनेक महिलाओं ने अपने बलबूते पर यहां राजनीति में गहरा प्रभाव छोड़ा है। शन्नो देवी ने अपने कौशल के बलबूते पर सियासत में एक खास मुकाम हासिल किया। वे हरियाणा विधानसभा की पहली एवं इकलौती महिला अध्यक्ष रहीं। इसी तरह से कुमारी सैलजा सबसे अधिक 4 बार लोकसभा की सदस्य चुनी गईं।
वर्तमान में सिरसा से सुनीता दुग्गल सांसद हैं तो हरियाणा सरकार में कमलेश ढांडा इकलौती महिला नेत्री हैं। प्रसन्नी देवी ने विधानसभा में जीत का सिक्सर लगाया। सुमित्रा देवी एक बार बिना चुनाव लड़े विधायक बन गईं तो बड़े घरानों से चौधरी भजनलाल की पत्नी जसमां देवी, बंसीलाल की पुत्रवधु किरण चौधरी, चौधरी देवीलाल की पौत्रवधु नैना चौटाला, कुलदीप बिश्रोई की पत्नी रेणूका बिश्रोई, ओमप्रकाश जिंदल की पत्नी सावित्री जिंदल, बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता भी विधायक बनने में सफल रहीं।
गौरतलब है कि चुनाव-दर-चुनाव विभिन्न राजनीतिक दलों से महिलाएं विधायक बनती रही हैं। 1967 के चुनाव में 8 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, इनमें से 4 विधायक बनने में सफल रहीं। 1968 में 12 महिला उम्मीदवारों में से 7, 1972 में 13 में से 4, 1977 में 20 में से 4, 1982 में 27 में से 7, 1987 में 35 में से 5, 1991 में 41 में से 6, 1996 में 17 में से 4, साल 2000 में 49 में से 4, 2005 में 60 में से 11, 2009 में 69 में से 9 और 2014 में सर्वाधिक 13 महिलाएं विधानसभा में पहुंचीं। पिछले चुनाव में 90 महिलाओं ने चुनाव लड़ा और 9 विधायक निर्वाचित हुईं।